Thursday, 3 October 2019

"Jaago Mohan Pyaare" [Jagte Raho (1956)] - Greet the Morning with Raag Bhairav



मेरे प्रिय गीत (4)

मेरा चौथा प्रिय गीत 1956 में रिलीज़ हुई आर के प्रोडक्शंस की फिल्म जागते रहो से है - जागो मोहन प्यारे। गीत की शब्द रचना मेरे पसंदीदा गीतकार शैलेन्द्र ने की थी और संगीतकार थे सलिल चौधरी।
लेकिन गीत के बारे में चर्चा करने से पहले कुछ चर्चा फिल्म की। यह फिल्म प्रसिद्ध बंगाली नाटककारों शम्भू मित्र (बंगाली उच्चारण "शोम्भु") और अमित मित्र द्वारा लिखे गए नाटक "एक दिन रात्रे" पर बनायी गयी थी। शम्भू और अमित मित्रा ने 1948 में 'बहुरूपी' नाम से एक थिएटर ग्रुप स्थापित किया था और प्रगतिशील थिएटर-कर्मियों में अग्रणी थे। इस नाटक से राज कपूर इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की इच्छा ज़ाहिर की तथा शंभू-अमित मित्र को फिल्म बनाने का आग्रह किया। यह फिल्म हिंदी में 'जागते रहो' के नाम से बनाई गयी और बांग्ला में मूल नाम 'एक दिन रात्रे' के नाम से। राज कपूर की पारखी दृष्टि ने शम्भू मित्र और अमित मित्र की प्रतिभा की इज़्ज़त करते हुए उन्हें निर्देशन और पटकथा लेखन का कार्यभार दिया। हिंदी वर्शन के लिए ख़्वाज़ा अहमद अब्बास ने फिल्म के संवाद लिखे। बांग्ला वर्शन के लिए फ़िल्मी रूपांतर में अतिरिक्त लेखन के कार्य में सलिल चौधरी, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, ने योगदान दिया।
"जागते रहो" के लिए संगीत रचना सलिल चौधरी का आर के के साथ पहला और अंतिम संगीत निर्देशन था। फिल्म के बंगाली परिवेश के साथ समुचित न्याय हो इसके लिए शम्भू मित्र और अमित मित्र का आग्रह था कि संगीत रचना सलिल चौधरी, जो कि बंगाल में काफी ख्याति अर्जित कर चुके थे और जिन्होंने बिमल रॉय की 'दो बीघा ज़मीन' के साथ हिंदी फिल्मों में शानदार शुरुआत की थी, से कराई जाय। इसलिए शंकर-जयकिशन, जो राज कपूर के नियमित कंपोजर थे, उन्हें इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया गया। लेकिन राज कपूर की मूल टीम से गीतकार शैलेन्द्र शामिल थे। हसरत जयपुरी नहीं थे। उनकी बजाय प्रेम धवन ने पंजाबी मिश्रित गीत 'कि मैं झूठ बोलया' लिखा था।
अब आते हैं इस गीत पर। मेरे यू के निवासी, प्रसिद्द हिंदी लेखक, मित्र तेजेन्द्र शर्मा (Tejendra Sharma) का मानना है कि शैलेन्द्र हालाँकि फिल्मी गीतकार थे, लेकिन उनके लिखे गीतों को उत्तम कोटि के साहित्य के समकक्ष रखा जा सकता है। और इस गीत में शैलेन्द्र की वह प्रतिभा पूरी तरह दिखाई जाती है। गीत का मुखड़ा पारम्परिक रूप से राग भैरव (जो कि प्रातः काल का राग है) में गाये जाने वाले भजन से लिया गया है, लेकिन उसके बाद शैलेन्द्र ने इसे पूरी तरह अलग रूप दे दिया है। जहाँ मूल भजन वैष्णव परम्परा में है जिसमे प्रातः कृष्ण का जागने हेतु आवाहन किया जाता है, वहीँ शैलेन्द्र ने इसे फिल्म की कहानी के अनुरूप निर्गुण स्वरुप दिया है। इस छोटे आलेख में फिल्म की पटकथा का विवरण संभव नहीं, लेकिन मूलतः यह एक थके-हारे, क्लांत व्यक्ति को अपने अंतर्मन करने को जागृत करने का आह्वान है। गीत की कुछ पंक्तियाँ हैं: "जिसने मन का दीप जलाया/दुनिया को उसने ही उजला पाया / मत रहना अखियों के सहारे"।
जहाँ तक सलिल चौधरी के कम्पोजीशन का सवाल है, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत के फ्यूज़न में उच्च कोटि की निपुणता प्रदर्शित की थी। इस गीत में मूल भैरव राग को रखते हुए उन्होंने पश्चिमी वाद्य यंत्रों के साथ अद्भुत प्रभाव पैदा किया है। ख़ास तौर पर गीत का प्रील्यूड "जागो रे जागो रे सब कलियाँ ......." एक जादुई असर पैदा कर के एक शांत से गीत में ऊर्जा भर देता है।
थोड़ी सी बात फिल्मांकन की। आर के के रेगुलर सिनेमेटोग्राफर राधू कर्मकार विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। इस गीत में उन्होंने सद्यःस्नाता नरगिस को बहुत ही दिव्य रूप में कैप्चर किया है। उनके चेहरे पर अद्भुत ओज है, जो उनकी अभिनय प्रतिभा के साथ राधू कर्मकार की कला का भी प्रदर्शन है।राज कपूर के साथ नरगिस की यह अंतिम फिल्म थी और वह सिर्फ इस गीत में अतिथि भूमिका में हैं, लेकिन इसमें ही उन्होंने जान डाल दी है। गीत के शुरुआती भाग में डेज़ी ईरानी ने बहुत प्रभावित किया है। राज कपूर चैपलिन के भारतीय रूप में खासे प्रभावी है।
लताजी का गायन विलक्षण और दिव्य प्रभावकारी है
गाने का यूट्यूब लिंक:

(अब एक फुट नोट: यह गीत फिल्म के बँगला वर्शन में पूरी तरह इसी धुन के साथ शामिल है, जिसमे सलिल चौधरी ने खुद ही बांग्ला शब्द डाले हैं। यह सभी जानते हैं कि सलिल दा ने कई धुनें हिंदी और बांग्ला दोनों में प्रयोग कीं। जिनमे परख के "ओ सजना बरखा बहार आई" का "न जेयो न..." काफी लोकप्रिय है। लेकिन मेरा सबसे पसंदीदा है फिल्म माया के गीत "तस्वीर तेरी दिल में" से मिलती धुन पर लताजी का गया सोलो "ओगो आर किछू तो ना" जिसका लिंक मैं दे रहा हूँ।https://www.youtube.com/watch?v=hhXbqQgioMI)


Acknowledgement and Disclaimer:
The song links have been embedded from the YouTube only for illustration of the points. This blog claims no copyright over these, which rests with the respective owners.




4 comments:

  1. अति सुन्दर जानकारी और विश्लेषण के लिये साधुवाद

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  2. It's a very devotional song. That song tell us about we have to conscious our mind. Our ultimate goal is extreme peace/moksha. Very nice song. Thanks sailendar daa. Anil Choudhary

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