Saturday, 28 September 2019

Radha Na Bole Na Bole (Azad - 1955), The magic of simplicity

मेरे प्रिय गीत (1)
आज से अपने मित्रों के साथ अपने प्रिय हिंदी फ़िल्मी गीतों के बारे में चर्चा की श्रृंखला शुरू कर रहा हूँ। मैं आपको बता दूँ कि ये "मेरे" प्रिय गीत हैं। दूसरी बात यह कि इन गीतों का क्रम रैंडम है। इसमें बिनाका गीतमाला की तरह कोई पायदान या वरीयता क्रम नहीं है। सालों से ये गीत सुनता आ रहा हूँ, और ये मुझे अलग अलग कारणों से प्रिय हैं। कई के साथ कुछ व्यक्तिगत स्मृतियाँ जुड़ी हैं। कुछ ऐसी भी हैं जो सार्वजनिक मंच पर साझा नहीं की जा सकतीं। बहरहाल मेरे दृष्टिकोण - "मेरे दृष्टिकोण" - के अनुसार मेरे प्रिय गीत तीन मापदंडों पर खरे उतरते हैं : गीत यानी lyrics, संगीत रचना और फिल्मांकन।
तो इस श्रृंखला का पहला गीत है फिल्म 'आज़ाद' (1955) से 'राधा ना बोले ना बोले'। इस गाने के बारे में कुछ कहने से पहले कुछ रोचक जानकारी। लेखक और पत्रकार राजू भारतन ने अपनी किताब में बताया है कि सबसे पहले फिल्म आज़ाद के गीत संगीतबद्ध करने के लिए नौशाद साहब से संपर्क किया गया। निर्माता निर्देशक श्रीरामुलु नायडू ने नौशाद साहब से कहा कि उन्हें तीस दिनों में दस गीत चाहिए। इसके बदले में उन्हें उचित मेहनताना मिल जाएगा। इस पर नौशाद साहब उखड गए और कहा "नायडू साहब , यह कोई बनिए की दुकान समझा है आपने? एक गाना नहीं मिलेगा आपको तीस दिन में"। इसके बाद संगीतकार सी रामचंद्र से आग्रह किया गया और उन्होंने तीस दिनों में पूरा एल्बम कंपोज़ करके दिया। और यकीन करें एल्बम के सभी गाने एक से बढ़कर एक हैं।
अब बात मेरे प्रिय गीत की जिसका लिंक यहाँ पर दिया जा रहा है। राजेंदर किशन के लिखे गीत के शब्द पूरी तरह घरेलू परिवेश में गए जाने वाले गीत के अनुरूप हैं और राधा कृष्ण के संबंधों की समग्र सरसता समेटे हुए हैं। सी रामचंद्र की धुन में भारतीय लोकसंगीत तथा शास्त्रीय सुरों का अद्भुत सम्मिश्रण हैं। सबसे बड़ी बात यह कि वाद्य यंत्रों का प्रयोग भी बहुत नियंत्रित हैं जिससे शब्दों के प्रवाह और लताजी की आवाज़ के प्रभाव में बाधा नहीं पड़ती। लताजी की आवाज़ के तो क्या कहने? मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना हैं कि नौशाद और मदन मोहन जैसे संगीतकारों ने भले ही लताजी के कलात्मक पक्ष को उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया हो, लेकिन लताजी ने सी रामचंद्र के लिए जो गाने गाये हैं उनमे स्वर का माधुर्य सबसे अच्छे रूप में सुनाई देता हैं।
लेकिन इस गीत की सबसे विशेष बात है इसका फिल्मांकन। मीना कुमारी का एक-एक मूव, कदमों की थिरकन, जिनसे एक अद्भुत प्रभाव पैदा होता है। IMDB पर Cast & Crew की सूची में किसी कोरियोग्राफर का नाम नहीं है, शायद यह गीत स्वतःस्फूर्त भंगिमाओं और हाथों, पैरों और मुद्राओं के ज़रिये फिल्मांकित हुआ और यही इसकी विशिष्टता है। सिर्फ सुनते हुए जो भी लगे, परदे पर देखते समय मेरे लिए यह गीत गीतकार, संगीतकार और गायिका से अधिक मीना कुमारीजी का लगता है।



https://www.youtube.com/watch?v=sXJ917TZVqU

Acknowledgement and Disclaimer:
The song links have been embedded from the YouTube only for illustration of the points. This blog claims no copyright over these, which rests with the respective owners.


5 comments:


  1. Agree that the Lata- C Ramachandran combo gave some great songs. Besides the more famous Anarkali (my favourite there is Mujhse mat pooch) and the Albela lullaby, there is also the lesser known Yasmin with 'Mujhpe Ilzaam-e-bewafayi hai' and 'Tum apni Yaad Dil se'

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    1. All the songs mentioned by you are immortal. And I fully agree that Lata - C Ramchandra together delivered some fantastic songs.

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